वो टूट चुका था मोहब्बत में पूरी तरह,
मगर उसको मोहब्बत से कोई शिकायत नहीं थी।
इस तर्क-ए-रफ़ाक़त पे परेशान तो हूँ लेकिन,
अब तक के तेरे साथ पे हैरत भी बहुत थी।
जैसे साहिल से चुरा लेती हैं मौजें दामन,
कितना आसान है तेरा मुझ से गुरेज़ाँ होना।
वो टूट चुका था मोहब्बत में पूरी तरह,
मगर उसको मोहब्बत से कोई शिकायत नहीं थी।
इस तर्क-ए-रफ़ाक़त पे परेशान तो हूँ लेकिन,
अब तक के तेरे साथ पे हैरत भी बहुत थी।
जैसे साहिल से चुरा लेती हैं मौजें दामन,
कितना आसान है तेरा मुझ से गुरेज़ाँ होना।