वो दुआ ही क्या जिसमें तुम्हारा इज़हार ना हो
वजूद की तलब ना कर…हक है तेरा! रूह तक सफर तो कर..
ख़ुशियों कि आरज़ू में मुक़द्दर सो गयें, आँधी ऐसी चली कि अपने भी खो गये।
काश ये ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बग़ैर, वो आकर गले लग जाएं इजाज़त के बग़ैर…
Shayari for Love – प्यार के लिए शायरी
