जिस बात को मुफ़ीद समझते हो ख़ुद करो,
औरों पे उसका बार न इसरार से धरो,
हालात मुख़्तलिफ़ हैं, ज़रा सोच लो यह बात,
दुश्मन तो चाहते हैं कि आपस में लड़ मरो।
भारत की फजाओं को सदा याद रहूँगा,
आजाद था, आजाद हूँ, आजाद रहूँगा।
करीब मुल्क के आओ तो कोई बात बने,
बुझी मशाल को जलाओ तो कोई बात बने,
सूख गया है जो लहू शहीदों का,
उसमें अपना लहू मिलाओ तो कोई बात बने।