Kasti Meri Sailab Me – कस्ती मेरी सैलाब में

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है। Jab bhi kashti meri sailaab me aa jaati hai, Maa duaa karti Read more

Maa Har roj Daga Karti Thi – माँ हर रोज देगा करती थी

कुछ इस तरह से माँ हर रोज दगा करती थी, मैं टिफिन में दो रोटी कहता था, वो चार रखा करती थी। Kuchh is tarah se maa har roz dagaa Read more

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Apna Banakr to Dekho – अपना बनाकर तो देखो

खामोशियों को तोड़ तो सही, जो दिल में है बोल तो सही  जख्मों को यूं तुम छुपाओ ना, दिल के कुछ राज दिखाओ ना देंगे साथ तेरा, कुछ न कुछ Read more