Shayari Mein SimatTe Kahan Hain Dil Ke Dard Dosto,
Behla Rahe Hain Khud Ko Jara Kagzon Ke Saath.
शायरी में सिमटते कहाँ हैं दिल के दर्द दोस्तों,
बहला रहे हैं खुद को जरा कागजों के साथ।
इनमें क्या फ़र्क़ है अब इस का भी एहसास नहीं,
दर्द और दिल का जरा देखिये एक सा होना।
कल रात बरसती रही सावन की घटा भी,
और हम भी तेरी याद में दिल खोल के रोए,
लोग देते रहे ज़ख्म, सुलगती रही आँखें,
हम दर्द के मारों को न सोना था, न सोए।