हम अधूरे लोग हैं हमारी न
नींद पूरी होती है न खवाब
तेरी याद आई है आंखे भर गई
गमों की शाम यूं ही गुजर गई..!
हमें उससे ही शिकायत है कहें कैसे उससे हम
वो सबका हो जाता है आये जिसके हिस्से हम।
हम अधूरे लोग हैं हमारी न
नींद पूरी होती है न खवाब
तेरी याद आई है आंखे भर गई
गमों की शाम यूं ही गुजर गई..!
हमें उससे ही शिकायत है कहें कैसे उससे हम
वो सबका हो जाता है आये जिसके हिस्से हम।