बिना हमसफर के कब तलक,
कोई मसाफ़तों में लगा रहे,
जहाँ कोई किसी से जुदा न हो,
मुझे उस राह की तलाश है।
सुन मेरे हमसफ़र, क्या तुझे इतनी सी भी खबर,
की तेरी साँसे चलती जिधर,रहूँगा बस वही उम्र भर।
मेरे रास्ते मेरी मंजिलें,
मेरे हमसफ़र मेरे हमनशीं,
मुझे लूट कर सभी चल दिए,
मेरे पास कुछ भी बचा नहीं।
बस सफर हमारा है, बाकी सफर के हिस्से है,
जो साथ चले वो हमसफर, जो छुट गए वो किस्से है।
उम्र भर का पसीना, उसकी गोद मे सुख जायेगा,
हमसफर क्या चीज है, ये बुढापे मे समझ आयेगा।