हादसों की मार से टूटे अगर जिंदा रहा
जिंदगी जो तूने जख्म दिए वो गहरा ना था
ऐ ज़िन्दगी जितनी मर्जी है तक़लीफ़िया बढ़ा
वादा है तुझसे मै उसे हंस के गुजार दूंगा
इंसान की किरदार की दो ही मंजिले है
या दिल में उतर जाये या दिल से उतर जाये
तुम तो दवा के बादशाह थे ऐ लुकमान हकीम
हेरत है फिर भी इश्क़ ला इलाज रह गया
डूबना ही पड़ता है उभरने से पहले
ग्रुब होने का मतला ज्वाल नहीं होता