आखिर एक ही तो जिंदगी थी
वफाएं किस किस से करतेअपने आप से, अपने सपनों से
अपनी काबिलियत से
अपनी सच्चाई से!या दूसरों की सोच से या फिर
रास्तो पे आने वाली रुकावटो से
मैं यादों का पिटारा खोलू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।मैं गांव की गलियों से गुजरू
पेड़ की छांव में बैठू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।वो हंसते मुस्कुराते दोस्त ना जाने
किस शहर में गुम हो गए,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
पापा मै आप से कुछ कहना चाहती हूँ
पापा मैं आपके साथ बैठना चाहती हूँ।आपसे बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
अपने दर्द बयाँ कर रोना चाहती हूँ।पापा मै आप से एक बात कहना चाहती हूँ
मैं कई बार अकेली सी पड़ जाती हूँ।मैं आप को आवाज लगाना चाहती हूँ
पापा मै आप को बहुत चाहती हूँ।हाँ, मैं कभी नही बताती
मगर मै आप के जैसा बनना चाहती हूँ।