क्यूँ न सज़ा मिलती हमें मोहब्बत में, आखिर हम ने भी तो बहुत दिल तोड़े तेरी खातिर। टूट सा गया है मेरी चाहतों का वजूद, अब कोई अच्छा भी लगे तो इज़हार नहीं करते। दिलों का खेल जो खेलो तो ये भूल मत जाना, कि खेल-खेल में अक्सर खिलौने टूट जाते हैं।More Shayari